“जय श्रीराम” के नारे का कोई मतलब नहीं, बस मुसलमानों को पीटने के किए किया जा रहा है इस्तेमाल”

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देश में इस वक्त हिंदू कट्टरपंथियों द्वारा भगवान राम के नाम पर की जाने वाली मॉब लिंचिंग चिंता का विषय बनती जा रही है। इस कड़ी में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित वर्ल्ड फेमस इकोनॉमिस्ट अमृता सेन ने कड़ी टिप्पणी की है। उन्होंने कहा है कि मां दुर्गा और भगवान श्री राम के नाम पर नारे लगाकर लोगों को पीटना बंगाली संस्कृति से जुड़ा हुआ नहीं है।

अमर्त्य सेन की मॉब लिंचिंग पर दिया ये बयान

हाल ही में कोलकाता के जादवपुर यूनिवर्सिटी में पहुंचे मशहूर इकोनॉमिस्ट अमृता सेन ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि मां दुर्गा बंगाल के लोगों के जीवन में हमेशा से ही सर्व व्याप्त रही हैं और जय श्री राम का नारा लगाकर लोगों को पीटना बंगाल की संस्कृति से जुड़ा हुआ नहीं है। इस दौरान उन्होंने कहा कि आज कल रामनवमी लोकप्रियता हासिल कर रही है। लेकिन इसके बारे में हमने पहले कभी सुना भी नहीं था। मैंने अपने 4 साल की पोती से जब पूछा कि उसके पसंदीदा भगवान कौन है तो उसने जवाब दिया कि मां दुर्गा क्योंकि वह हमारी जिंदगी में मौजूद हैं।

कहा भगवान् के नाम पर मारपीट करना संस्कृति का हिस्सा नहीं

मुझे लगता है कि जय श्रीराम के नारे का इस्तेमाल लोगों को पीटने के लिए किया जाता है। गौरतलब है कि हाल ही में भारत के राज्य झारखंड में एक मुस्लिम शख्स को भगवान श्री राम का नाम ना लेने के मामले में पीट-पीटकर मार डाला गया था। इस घटना की एक वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल भी हुई थी। जिसमें कुछ लोगों की भीड़ मुस्लिम शख्स तबरेज अंसारी को जबरदस्ती जय श्रीराम के नारे लगाने के लिए कहती थी।

यूएन में भी पहुंचा झारखंड मॉब लिंचिंग मामला

आपको बता दें कि अब यह मामला यूएन तक भी पहुंच चुका है और यूएन ने इसकी जमकर निंदा भी की है। वहीं पश्चिम बंगाल में बीते कुछ महीनों से जय श्री राम का नारा राजनीतिक बहस के दौरान इस्तेमाल किया जा रहा है। इसी के चलते पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस और केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के बीच कई बार विवाद और हिंसा तक हो चुकी है।

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